हरियाणा के लोगों की जि़ंदगियां बदलने में मदद कर रहा है फि नकेयर एसएफ बी

 

तिगांव : श्रीमती दिशा घोडे हरियाणा के एक छोटे से गांव तिगांव में रहती हैं। उनकी कहानी जीवन में गरीबी से उठकर अपने घर के साथ-साथ पूरे गांव में एक प्रतिष्ठित महिला बनने का सफर दिखाती है।

करीब 3-4 वर्ष पहले तक दिशा के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी नहीं थी। एक कुशल ब्यूटिशियन और सिलाई-कढ़ाई में एक अनुभवी टीचर होने के बावजूद पैसों की कमी के कारण, दिशा अपने परिवार की आर्थिक हालत सुधारने में कोई मदद नहीं कर पा रही थी। उनके पति की मामूली आमदनी घर का खर्च चलाने के लिए पूरी नहीं पड़ती थी। उन्होंने अपनी सहेलियों और रिश्तेदारों से भी आर्थिक मदद मांगने की कोशिश की लेकिन कोई भी उनकी सहायता करने को तैयार नहीं था।

हर प्रकार की निराशा के बावजूद वो हार मानने को राजी नहीं थी और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनकर अपने परिवार की आर्थिक हालत सुधारने के फैसले पर अडिग रही। इसी बीच वो अपने पड़ोस में कुछ महिलाओं के एक समूह से मिली जो फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक की एक समूह बैठक यानि ग्रुप मीटिंग के लिए अपने ऋण की किश्तें जमा करने आई थीं। वहां मौजूद फिनकेयर के ऋण अधिकारी ने दिशा को बैंक के समूह ऋण के बारे में बताया और साथ ही एक समूह की जिम्मेदारियों और सुविधा की जानकारी भी दी। ऋण अधिकारी ने दिशा को बताया कि यह बैंक उनके जैसे परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधारने में किस तरह से मदद कर सकती है। इस मुलाकात के बाद दिशा भी फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक के स्वयं सहायता समूह ;ैभ्ळद्ध की सदस्य बन गई।

शुरुआत में उन्होंने रुण् 20ए000 का ऋण लियाए जिससे सिलाई मशीन और ब्यूटी पार्लर के लिए कुछ सामान खरीदा। इससे उन्हें रुण् 8000 प्रति महीने की कमाई होने लगी। खुद से कमा सकने की अपनी क्षमता देखकर उनका आत्मविश्वास भी बढ़ गया। इसलिएए अपना पिछला ऋण चुकाने के बाद उन्होंने फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक से रुण् 30ए000 का एक दूसरा ऋण लियाए जिससे उन्होंने 4 सिलाई मशीन और खरीद ली। इसके बाद वो आसपास की महिलाओं को सलाई का काम सिखाने लगी।

अपने सतत प्रयासों के चलते उनके परिवार की मासिक आमदनी बढ़कर रुण् 25ए000 दृ 26000 हो गई जो कि उनकी पहले की आर्थिक हालत से काफी बेहतर थी। अब दिशा अपने समाज में एक प्रतिष्ठित जीवन व्यतीत कर रही हैं और अपने बच्चों को निजी स्कूल में भी पढ़ा रही हैं। जीवन में इस बदलाव के लिए वो फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक का आभार मानती हैंए जिसने ज़रूरत के वक्त पर उनकी जैसी कई सारी महिलाओं का साथ दिया है। ण्

फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक की शुरुआत जून 2017 में हुई थीए जो पहले ष्दिशा माइक्रोफिन लिमिटेडष् नामक एनबीएफसी.एमएफआई कंपनी के रूप में जानी जाती थी। दिशा माइक्रोफिन सितंबर 2015 में आरबीआई से ष्इन.प्रिंसिपलष् स्वीकृति प्राप्त करने वाली 10 कंपनियों में से एक थी। यह अनुमति देश में वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने के लिए चुनिंदा गैर.बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और माइक्रो फाइनेंस कंपनियों को स्मॉल फाइनेंस बैंक शुरु करने के लिए दी जाती है।

भारतीय माइक्रोफाइनेंस सेक्टर ने एक लंबा सफर तय किया है। शुरुआती अनुमानों के अनुसार मार्च 2019 के अंत तक इस उद्योगध्सेक्‍टर ने 1 लाख से अधिक कर्मचारियों की मदद से 30 राज्यों में 50 मिलियन से अधिक ग्राहकों ;जिनमें से 99: से अधिक महिलाएं हैं और अधिकांश के लिए यह उनके जीवन में पहली क्रेडिट सुविधा रहीद्ध तक पहुंच कर लगभग 2ए00ए000 करोड़ रुपये के क्रेडिट पोर्टफोलियो के स्‍तर को छुआ है। 2011 के मध्‍य में आंध्र प्रदेश ;एपीद्ध संकट के बाद जो उद्योग लगभग खत्‍म हो चुका थाए उसके लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है।

छठथ्ब्.डथ्प् देश का एकमात्र विनियमित वित्तीय संस्थान हैए जो कम आय वाले परिवारों को असुरक्षित ऋण प्रदान करता है। ये संस्थाएँ उन महिलाओं के लिए कर्ज की अनुपलब्‍धता को खत्‍म करती हैं जिनके पास ऋण के बदले में गिरवी रखने के लिए कुछ भी नहीं है। छठथ्ब्.डथ्प् का उद्देश्य स्थायी आजीविका निर्माण करना है। दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राहकों को सभी प्रकार की वित्तीय सेवाएं प्रदान करते हुएए ये संस्थान सरकार के वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रहे हैं।

छठथ्ब्.डथ्प् प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का एक महत्वपूर्ण भागीदार है और इस कार्यक्रम के तहत वितरित ऋण का लगभग 50: माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के माध्यम से किया गया है। एनबीएफसी.एमएफआई भारतीय रिज़र्व बैंक के तहत पंजीकृत हैं और ऋण के आकार से लेकर ऋण की अवधिए ब्याज की दर तक बेहद सख्‍ती के साथ विनियमित होते हैं। साथ ही फेयर प्रैक्टिस कोड ;एफपीसीद्ध और इंडस्‍ट्री कोड ऑफ कंडक्‍ट ;सीओसीद्ध इनके कामकाज को नियंत्रित करते हैं। रिज़र्व बैंक सभी छठथ्ब्.डथ्प् की नियमित निगरानी करता है।