विश्व स्पाइन दिवसः पीठ के दर्द को न करें नजरअंदाज
फरीदाबाद, 16 अक्टूबर। विश्व स्पाइन दिवस के उपलक्ष्य में एस्कोर्ट फोर्टिस अस्पताल की ओर से पृथला स्थित एक कंपनी में जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग निदेशक डॉ. रोहित गुप्ता मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने कंपनी अधिकारियों और कर्मचारियों को स्पाइन से जुड़ी बीमारियों के विषय में बताया। साथ ही इससे बचने के उपाय बताए। न्यरोलॉजिस्ट डॉ. रोहित गुप्ता ने कहा कि भागदौड़ भरी जीवनशैली में 70 से 80 प्रतिशत लोगों को पीठ दर्द की समस्या होती है। इसके अलावा सोते समय हाथ में दर्द, जलन और झिनझिनी भी लोगों को परेशान करती है। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर से मिलकर जांच करा लेनी चाहिए। इस बीमारी को कारपेल टनेल सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि रीढ़ की हड्डी के 33 मनके होते है। रीढ़ की हड्डी के मनकों के बीच में डिस्क होती है जो खिस्क जाए तो तकलीफ करती है। मनको के अंदर काफी समस्या होती है। इनमें इंफेक्शन, चेप लगना, मनके टूट जाना ,मनकों का आगे-पीछे होना व हिलना, मनकों का दब जाना, मनकों के बीच में जगह कम होना। इससे रोगी न तो ठीक से खड़ा हो पाता, न चल पाता है और न उठ बैठ पाता है, मगर जानकारी के आभाव में लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते। इससे बीमारी बढ़ती जाती है, जो कई बार खतरनाक रूप ले लेती है। इसलिए पीठ की बीमारी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इस दौरान कर्मचारियों ने डॉक्टर से सवाल जबाव भी किए। कर्मचारी दीपक पाठक ने सवाल किया कि यह दर्द कब होता है, तो डॉक्टर ने जबाव दिया कि गिरने के कारण, बढ़ती उम्र के कारण, अधिक वजन उठाने के कारण, गलत तरीके से बैठने के कारण। अधिकारी रमेश ने सवाल किया कि क्या गर्दन व बाजू के सारे दर्द सरवाइकल के हैं। डॉ. रोहित ने कहा कि नहीं, सरवाइकल एक विस्तृत बीमारी है।
बीमारी के लक्षण
पीठ व कमर में दर्द ,टांगों का सुन होना, टांगों में झनझनाहट होना, चलने में दिक्कत होना, टांगों का चलना बंद होना, पेशाब रुक जाना। अगर कमर दर्द ठीक नहीं होता है और साथ में बुखार या टांगों में दर्द है तो तुंरत स्पाइनल सर्जन को दिखाएं।
बीमारी का इलाज
– कई लोग दवाओं, कसरत और गर्म सेक से ठीक हो सकते हैं और कुछ लोगों को इंजेक्शन से ठीक किया जा सकता है। अगर उनसे ठीक न हो तो ऑपरेशन भी किया जा सकता है।
– रीढ़ की हड्डी के दर्द में आगे झुक कर कोई काम न करें। भारी वजन बिल्कुल न उठाएं, कमर को स्पोर्ट देकर बैठें, दूध व दूध से बने पदार्थ, विटामिन डी युक्त पदार्थो का सेवन करें।