गांधी जी के सपनों का मेवात बहा रहा अपनी बदहाली पर आंसू

पलवल, 1 अक्टूबर। देश की राजधानी से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर बसे मेवात को गांधी जी के सपनों का मेवात कहा जाता हैं, क्योंकि 71 वर्ष पूर्व गांधी जी ने मेवात के घासेड़ा गांव में आकर मुस्लिम समाज के लोगों को बटवारे के बाद पाकिस्तान जाने से रोका था। लेकिन उसके बाद आज तक किसी भी सरकार ने मेवात के विकास की ओर नहीं सोचा। जिसके चलते मेवात आज देश के 115 पिछड़े जिलों में सुमार किया जा रहा है। क्या यहीं सपना देखकर 71 वर्ष पूर्व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने वीर बहादूर कौम को रोका था? यह सोचने का विषय है। क्योंकि देश पर जब भी कोई आफत आई तभी मेवातियों ने अपनी छाती आगे अड़ाई थी।
हिन्दुस्तान-पाकिस्तान बटवारे के दौरान मेवात के काफी लोग देश छोडक़र जा चुके थे। हजारों की संख्या में नूंह के गांव घासेड़ा के आसपास बेघर होकर पाकिस्तान जाने के लिए डेरा डाल रास्ता खुलने का इंतजार कर रहे थे। जब इसकी भनक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लगी तो उन्होंने अपने सारे कार्यक्रम रद किए और संयुक्त पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपीचंद भार्गव, पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री रणबीर सिंह हुड्डा, आचार्य विनोवा भावे के साथ 19 दिसंबर 1947 को मेवात के घासेडा गांव पहुंचे और मेव समाज को पाकिस्तान न जाने का आग्रह किया था। गांधी जी ने अपने संबोधन में कहा था कि मेव समाज भारत देश की रीढ़ की हड्डी है और गांधी भी आपके साथ जीना-मरना चाहता है। उस दौरान गांधी जी ने अपने भावुक भाषणों में कहा था कि आपको मेरे ऊपर से गुजरना होगा। गांधी जी की बात मानकर मेव समाज ने पाकिस्तान जाने का अपना इरादा बदल दिया और लोग अपने घरों में वापस लौटने लगे। तभी से घासेडा गांव गांधी ग्राम घासेडा के नाम से जाना जाने लगा।
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क्या कहते है जानकार:-
अखिल भारतीय शहीदाने सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरफुद्दीन मेवाती कहते है कि देश बंटवारे के समय आजम खां, हिम्मता मेव व जीवन लाल की रहनुमाई में एक प्रतिनिधि मंडल पूर्व पंजाब (मेवात), राजस्थान व उत्तर प्रदेश के मेव कौम के मुख्य लोग तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल से मिलने दिल्ली गए थे। सरदार पटेल से हिम्मता मेव व आजम खां ने कहा कि मेवातियों ने औरंगजेब की जेल से छत्रपति शिवाजी व शंभू जी को निकाला था। इसके बदले में मेवात के 900 लोगों को औरंजेब ने फांसी पर लटकवा दिया था और आप इन बहादूर मेवातियों को पाकिस्तान भेजना चाहते है। इसके बाद सरदार पटेल ने महात्मा गांधी को फरमान दिया की मेवात के बहादुर लोगों को अपने वतन में रोकने की गुजारिश की जाए। जिसके बाद 19 दिसंबर 1947 को महात्मा गांधी मेवात के घासेडा गांव पहुंचे थे।