उपायुक्त यशपाल ने बताया कि कृषि कार्यों के साथ-साथ पशुपालन एक लाभकारी सहायक कृषि कार्य है। सीमांत किसानों, बेरोजगार युवाओं को भी पशुपालन का व्यवसाय अपनाना चाहिए। सभी पशु चिकित्सकों की सलाह से पशुपालन करें। पशु पालन एवं डेयरिंग विभाग की योजनाओं का लाभ उठाएं। पशु चिकित्सकों की सलाह पर अपने पशुओं में रोगों की रोकथाम के लिए समय-समय पर टीकाकरण अवश्य करवाएं।
पशुपालन एवं डेयरिंग विभाग पलवल की उप-निदेशक डा. नीलम आर्य ने विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि उपायुक्त के निर्देशानुसार जिला में पशु पालन का कार्य सुचारू रूप से करने के लिए समय-समय पर किसानों को जागरूक किया जाता है। उन्होने बताया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान पलवल जिला क्षेत्र में कुल 32880 दुधारू पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान किया गया। जिनमें कुल 24749 भैंस व कुल 8131 गाय शामिल हैं। जिला क्षेत्र में 209122 पशुओं को मुहखुर से बचाव के टीके लगाए गए। इसके अलावा 20 सूत्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत 7 दुधारू यूनिट तथा 2 मिल्च एनीमल्स लघु डेयरी यूनिट स्थापित की गई और पशुओं के बांझपन के ईलाज के लिए 7 कैंप लगाए गए।
देसी गायों की मिनी डेयरी योजना के तहत गाय की देशी नस्लों के संरक्षण एव विकास तथा राज्य में गौ वंश संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए गायों की डेरी इकाई लगाने वाले पशुपालकों को 50 प्रतिशत अनुदान गायों के खरीद मूल्य पर दिया जा रहा है।