नेत्रदान के लिए जागरूक किया
फरीदाबाद,10 सितंबर। राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सराय ख्वाजा की जूनियर रेड क्रॉस और सैंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड ने विद्यालय में चौतीसवे राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े के समापन पर नेत्रदान जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। विद्यालय के अंग्रेजी लेक्चरर व जे आर सी तथा एस जे ए बी प्रभारी रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने ब‘चों को बताया कि हर वर्ष 25 अगस्त से राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है। इसका उद्देश्य नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को नेत्रदान करने के लिए प्रेरित करना है। कॉर्निया में चोट या किसी बीमारी के कारण कॉर्निया को क्षति होने पर दृष्टिहीनता को ठीक किया जा सकता है। प्रत्यारोपण में आँख में से क्षतिग्रस्त या खराब कॉर्निया को निकाल दिया जाता है और उसके स्थान पर एक स्वस्थ कॉर्निया प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कॉर्निया की बीमारियां यानी कॉर्निया का नुकसान, जो कि आंखों की अगली परत होती है, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद, होने वाली दृष्टि हानि के प्रमुख कारणों में से एक हैं। उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके विभिन्न अंगों को दान किया जा सकता हैं तथा उसे उन रोगियों में प्रत्यारोपित किया जा सकता है जिनको उसकी जरूरत है। ऐसा ही एक अंग है नेत्र। मृत्यु के बाद नेत्रदान से, क्षतिग्रस्त कॉर्निया की जगह पर नेत्रदाता के स्वस्थ कॉर्निया को प्रत्यारोपित किया जाता है। कार्निया प्रत्यारोपण के बाद दृष्टिहीन व्यक्ति फिर से देख सकता है। उसकी जिंदगी रोशन हो सकती है। डॉक्टर्स एवम् विशेषज्ञों के अनुसार नेत्रदान मृत्यु के 6 घंटे के अंदर हो जाना चाहिए। नेत्रदान की सुविधा घर पर भी निशुल्क दी जाती है। यदि किसी व्यक्ति द्वारा जीवन में नेत्रदान की घोषणा न की गई हो, फिर भी रिश्तेदार मृत व्यक्ति का नेत्रदान कर सकते है। नेत्र ऑपरेशन के बाद तथा चश्मा पहनने वाले भी नेत्रदान कर सकते हैं मधुमेह अर्थात डायबिटीज के मरीज भी नेत्रदान कर सकते हैं। वहीं जिन लोगों को मृत्यु पूर्व एड्स, पीलिया, कैंसर, रेबीज सेप्टीसीमिया, टिटनेस, हेपेटाइटिस जैसी बीमारी रही हो, उनके नेत्रदान अयोग्य माने जाते हैं। एक आंकड़े के अनुसार भारत में लगभग 1.25 करोड़ लोग दृष्टिहीन हैं, जिसमें करीब &0 लाख व्यक्ति नेत्र प्रत्यारोपण के माध्यम से नवदृष्टि प्राप्त कर सकते हैं। जितने लोग हमारे देश में एक साल में मरते हैं, अगर वे मरने के बाद अपनी आँखें दान कर जाएँ तो देश के सभी नेत्रहीन लोगों को एक ही साल में आँखें मिल जाएंगी। बारहवीं के छात्रों सौरभ, मोहित, गौरव, संदीप, आलोक, गंगाधर, सौरभ तिवारी, नीतीश, दीपक और अशोक ने नेत्रदान के लिए प्रेरित करने वाले पोस्टर्स बना कर सभी ब‘चों को नेत्रदान का प्रचार और प्रसार करने के लिए प्रेरित किया। विद्यालय की प्राचार्या नीलम कौशिक और स्टाफ ने भी सभी को इस पुण्य कार्य से जुडऩे का आह्वान किया।