रामलीला भवन को बचाने के लिए लोगों नें सुमेर सिंह के पैरों में पगड़ियां रख दी, पैरों में लेट गये फिर भी 70 साल पुराने रामलीला भवन को तोड़ दिया गया।
रामलीला भवन को बचाने के लिए लोगों नें सुमेर सिंह के पैरों में पगड़ियां रख दी, पैरों में लेट गये फिर भी 70 साल पुराने रामलीला भवन को तोड़ दिया गया।
फरीदाबाद।बी डी कौशिक मुख्य संपादक मातृभूमि संदेश न्यूज नेटवर्क।
लोग गिड़गिड़ाते रहे ,नगर निगम अधिकारियों की मिन्नतें करते रहे। एसडीओ सुमेर सिंह के पैरों में अपनी पगड़ियां रख दी। परंतु इन पत्थर दिल लोगों का दिल नहीं पसीजा और लाखों लोगों के आस्था के केंद्र भगवान सीताराम के भवन रामलीला भवन को तहस नहस कर दिया गया।और अपनी राजनीतिक हवस को पूरी करने के लिए विजय रामलीला भवन को गिरा दिया गया।एक बात तो तय है जिस जिस व्यक्ति का इस कुकृत्य में हाथ है उनका विनाश निश्चित है राम के नाम पर सरकार बनाने वाली भाजपा के नेता इस कुअवसर पर मूकदर्शक बने रहे लगता है उनका भी बुरा वक्त आज से शुरु हो गया है।भले ही ये आपसी रंजिश का परिणाम है परंतु इसका फल सभी को भुगतना होगा।
ये लोग हाई कोर्ट के आदेशों का हवाला दे रहे हैं तो अरावली के कालेज, स्कूल, फार्म हाउस सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद भी क्यू सुरक्षित है उन पर टेढी नजर डालने की हिम्मत सुमेर सिंह एंड पार्टी में नहीं है क्यों कि वहां उसके आकाओं के निर्माण हैं उन्हें तोड़ना तो दूर ,छूने की हिम्मत इन लोगों में नहीं है।
ये तो सर्वविदित है कि बिना किसी राजनीतिक संरक्षण के ये राम जी का घर नहीं तोड़ा गया।और ये पक्का तय है कि श्री राम और मां सीता जी की मूर्तियों पर बुलडोजर चलवाकर कोई भी चैन से नहीं जी पायेगा। क्योंकि इस भवन का निर्माण रामलीला के चंदे और भक्तों की आस्था से हुआ है।आखिर हर बार ये खिलवाड़ हिंदूओं की आस्था से ही क्यूं होता है।
सत्तारुढ दल भाजपा को इसका खामियाजा आने वाले चुनावों में ना सिर्फ फरीदाबाद में अपितु पूरे हरियाणा में भुगतना पड़ेगा।और उन हिन्दू संगठनों पर भी लानत है जो हिंदूओं के हितैषी बनने का ढोंग करते हैं।