मिस्त्र ने उइगरों की गिरफ्तारी में की थी चीन की मदद

काइरो। जुलाई, 2017 में मिस्त्र ने 90 से ज्यादा उइगर मुस्लिमों को हिरासत में लेकर चीन की मदद की थी। उनमें से कई अल-अजहर में इस्लाम की पढ़ाई कर रहे थे। इस बात का खुलासा उस वक्त हिरासत में लिए गए एक छात्र ने किया है। साल 2017 में सुन्नी मुस्लिमों के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान अल-अजहर में अध्ययनरत उइगर छात्र अब्दुलमलिक अब्दुलअजीज को मिस्त्र की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने पहले उसको हथकड़ी लगाई और फिर उसका चेहरा ढक दिया। जब अब्दुलमलिक का नकाब हटाया गया तो वह राजधानी काइरो के पुलिस थाने में था और चीनी अधिकारी उसे पूछताछ कर रहे थे।

अब्दुलअजीज ने कहा, ‘चीनी अधिकारी मुझे मेरे उइगर नहीं बल्कि चीनी नाम से संबोधित कर रहे थे। मिस्त्र की पुलिस ने बताया कि चीन सरकार मुझे आतंकी बता रही है। लेकिन मैंने उन्हें नहीं में जवाब दिया था।’ गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों से भी इसी तरह के सवाल पूछे गए थे। कई दिन तक हिरासत में रखने के बाद सभी को तीन समूहों में बांटकर लाल, पीले और हरे कार्ड दिए गए थे। इन कार्ड से तय होता था कि उन्हें रिहा करना है, प्रत्यर्पित करना है या आगे पूछताछ की जानी है।

नार्वे में रहने वाले भाषाविद अब्दुलवेली अयुप कहते हैं, चीन के शिनजियांग प्रांत में इसी तरह की यातना दी जाती है। शिनजियांग में करीब दस लाख उइगरों और अन्य मुस्लिमों को हिरासत केंद्रों में रखा गया है। चीन की सरकार इन्हें प्रशिक्षण केंद्र बताती है। उसका कहना है कि धार्मिक कट्टरता रोकने के लिए यह जरूरी है।

अयुप के मुताबिक मिस्त्र में उइगरों की गिरफ्तारी संयोग नहीं है। दरअसल चीन, मिस्त्र में सबसे बड़ा निवेशक है। उइगरों की गिरफ्तारी से तीन हफ्ते पहले ही चीन और मिस्त्र ने आतंकवाद का सामना करने के लिए एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।